Indigo flight cancel: देश की सबसे भरोसेमंद मानी जाने वाली एयरलाइन इंडिगो इन दिनों अपने अब तक के सबसे बड़े संकट से जूझ रही है। बीते पांच दिनों में 2000 से ज्यादा उड़ानों के रद्द होने से पूरे देश के एयरपोर्ट रेलवे स्टेशन जैसे नजर आ रहे हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि देश की सबसे मजबूत एयरलाइन का पूरा सिस्टम अचानक बैठ गया? क्यों हजारों लोग एयरपोर्ट पर फंस गए और कैसे एक के बाद एक हालात इतने बिगड़ गए? आइए विस्तार से समझते हैं पूरी कहानी।
कैसे बढ़ा इंडिगो का संकट?
इंडिगो बीते कुछ हफ्तों से फ्लाइट लेट होने और छोटी तकनीकी खराबियों से जूझ रही थी। एयरलाइन इसके लिए कभी मौसम, तो कभी एयरपोर्ट पर भीड़ को जिम्मेदार ठहरा रही थी। लेकिन असली दबाव तब शुरू हुआ जब सरकार ने फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (FDTL) के नए नियम लागू किए। इसका मकसद पायलटों को थकान से बचाना था, लेकिन पहले से ही स्टाफ की कमी झेल रही इंडिगो के लिए यह नियम भारी पड़ गया।
नए सरकारी नियम ने संकट बढ़ाया
FDTL नियमों के अनुसार पायलटों को अनिवार्य आराम देना जरूरी हो गया। इससे बड़ी संख्या में पायलट आराम पर भेजे गए, जबकि इंडिगो के पास उस हिसाब से एक्स्ट्रा स्टाफ था ही नहीं, जिसके चलते एयरलाइन को कई उड़ानें रद्द करनी पड़ीं और यहीं से बड़ी समस्या शुरू हुई।
एयरबस A320 की चेतावनी के बाद हालात बिगड़े
इसी बीच रात के समय उड़ानों के लिए एयरबस 320 से जुड़े सुरक्षा अलर्ट आए, जिनके चलते कई देर रात की उड़ानें तुरंत रद्द करनी पड़ीं। नए नियम रात 12 बजे के बाद लागू हो चुके थे, जिससे अचानक बड़ी संख्या में फ्लाइट्स कैंसिल होने लगीं और सिस्टम में भारी अव्यवस्था पैदा हो गई।
इंडिगो का बड़ा आकार भी बना वजह
भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन होना इस बार इंडिगो के लिए उलटा पड़ गया। इतने बड़े नेटवर्क में जब एक साइकिल बिगड़ा, तो बाकी हिस्से भी तेजी से प्रभावित हो गए। हजारों क्रू, दर्जनों एयरपोर्ट और प्रतिदिन 2000 से ज्यादा उड़ानों का शेड्यूल एक झटके में चरमरा गया।
DGCA का बड़ा यू-टर्न
लगातार बढ़ते हंगामे के बीच DGCA ने राहत देते हुए वह नियम वापस ले लिया, जिसमें पायलट के साप्ताहिक आराम को छुट्टी से बदलने की मनाही थी। इससे पायलट रोटेशन थोड़ा आसान होगा और एयरलाइन कुछ स्थिरता ला सकेगी।
पायलट संघ की नाराजगी
हालांकि पायलट यूनियन का आरोप है कि इंडिगो मैनेजमेंट पहले से नए नियमों की जानकारी होते हुए भी तैयारी नहीं कर पाया। उनका दावा है कि ज्यादा भर्तियां करनी चाहिए थीं, लेकिन एयरलाइन ने उल्टा स्टाफ और कम कर दिया।
नतीजा: जनता परेशान
कारण चाहे इंडिगो की लापरवाही हो, सरकारी नियम हों या तकनीकी चुनौतियां, प्रभाव आम आदमी पर पड़ा है। हर दिन सैकड़ों उड़ानें रद्द हो रही हैं, टिकट के दाम आसमान छू रहे हैं, और एयरपोर्ट्स पर स्टेशन जैसा माहौल बना हुआ है।