November 22, 2024

पर्वत वाणी

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कुमाऊँ से है रं समाज का सदियों पुराना नाता, इन क्षेत्रों में है बसा

हल्द्वानी। रं समाज की बसासत मुख्यत: पिथौरागढ़ जिले की धारचूला तहसील के ब्यांस, तल्ला दारमा, मल्ला दारमा और चौंदास पट्टी में है। उच्च हिमालयी क्षेत्र में व्यास घाटी-काली नदी, दारमा घाटी-धौली नदी और चौंदास घाटी-काली और धौला नदी के बीच में पसरा भू-भाग है। नेपाल और तिब्बत से सटे काली, गोरी और धौली नदी क्षेत्र की अधिकांश बसासत को शौका, जोहारी अथवा रं समाज के नाम से जाना जाता है।

ब्रिटिश कालीन डिप्टी कमिश्नर चार्ल्स ए शेरिंग ने 1906 में लंदन से प्रकाशित किताब वेस्टर्न तिब्बत एंड ब्रिटिश बॉर्डर लैंड में रं घाटी और समाज पर विस्तृत लेख भी लिखा है। रं कल्याण संस्था की किताब अमटीकर में डॉ. अरुण कुकसाल ने लिखा है कि उच्च हिमालयी क्षेत्र में पल्लवित रं समाज का आधार, अतीत और आयाम घुमक्कड़ी रहा है। हिमालय के शिखरों की गोद में उनके घर, गांव हैं।

सहायक आयुक्त जीएसटी हल्द्वानी जीवन सिंह दुग्ताल का कहना है कि कुमाऊं के तिब्बत सीमा में स्थित दारमा और व्यास घाटी का कुमाऊं के इतिहास में बहुत महत्वपूर्ण स्थान रहा है। रं कल्याण संस्था के महासचिव डॉ. विक्रम सिंह रौंकली का मानना है कि प्रतिस्पर्धा की दौड़ में रं जनों को निश्चित रूप से बहुत आगे जाना होगा।

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