श्रीनगर। जम्मू कश्मीर में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर होने वाले समारोहों को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। इस मामले पर पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह का बयान भी सामने आया है। उन्होंने कहा है कि केंद्रशासित प्रदेश में स्वतंत्रता दिवस समारोह का सफल आयोजन सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था की गई है। जम्मू कश्मीर में लोगों को बड़ी संख्या में स्वतंत्रता दिवस समारोहों/कार्यक्रमों में हिस्सा लेना चाहिए।
एक्टिव आतंकियों की संख्या अब ज्यादा नहीं: दिलबाग सिंह
सिंह ने ‘तिरंगा रैली’ में संवाददाताओं से कहा, ‘‘लोगों में काफी उत्साह है और लोग स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रमों में हिस्सा लेना चाहते हैं। हमने स्वतंत्रता दिवस समारोहों के लिए पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम किये हैं।’’ उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में सक्रिय आतंकवादियों की संख्या बहुत अधिक नहीं है, लेकिन सुरक्षाबल अपनी चौकसी कतई घटा नहीं सकते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें संख्या पर नहीं जाना है जो कहीं से भी अधिक नहीं है। लेकिन सीमापार से तथा सोशल मीडिया के माध्यम से युवाओं को गुमराह करने की कोशिश की जा सकती है। लेकिन, युवा समझ गये हैं कि यह (आतंकवाद) विनाश का मार्ग है।’’
क्या हैं बॉर्डर पर हालात?
सीमा पर स्थिति के बारे में पुलिस महानिदेशक ने कहा कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से घुसपैठ के प्रयास किये गये हैं, लेकिन नियंत्रण रेखा पर ही ज्यादातर प्रयास विफल कर दिये गये। उन्होंने कहा, ‘‘घुसपैठ की कोशिशें की जा रही हैं, लेकिन ज्यादातर कोशिशों को नाकाम कर दिया गया है। इस साल ज्यादातर मुठभेड़ें नियंत्रण रेखा पर हुई हैं।’’
जम्मू से मिली जानकारी के मुताबिक, स्वतंत्रता दिवस से पहले जम्मू क्षेत्र में शांति भंग करने की किसी भी कोशिश को विफल करने के लिए क्षेत्र में सुरक्षा बढ़ा दी गयी है। खासकर पाकिस्तान से लगी सीमा पर कड़ी चौकसी बरती जा रही है। अधिकारियों ने बताया कि 225 किलोमीटर लंबी नियंत्रण रेखा और 192 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सेना और सीमा सुरक्षा बल ने अपनी चौकसी बढ़ा दी है।
बता दें कि पिछले हफ्ते अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (जम्मू क्षेत्र) मुकेश सिंह ने विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों की संयुक्त बैठक की थी और आतंकी खतरों से निपटने के लिए चौकसी बढ़ाने एवं ‘आक्रामक अभियान’ चलाने का आह्वान किया था। उन्होंने सीमा पर सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने, ड्रोनरोधी उपायों, जोखिम संभावित स्थानों और अंतर-जिला सीमाओं पर संयुक्त चौकियां लगाने पर जोर दिया था।
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