उत्तराखंड विधानसभा के विशेष सत्र को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने किया संबोधित

देहरादून। राज्य स्थापना के 25 वर्ष पूरे होने पर रजत जयंती के उपलक्ष्य पर विधानसभा का दो दिवसीय विशेष सत्र शुरू हो गया है। तीन दिवसीय दौरे पर उत्तराखंड पहुंची राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने विधानसभा के विशेष सत्र को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि युवा ऊर्जा के साथ राज्य आगे बढ़े।

सोमवार सुबह विधानसभा सचिवालय में विशेष सत्र की शुरुआत हुई। विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने सबसे पहले राष्ट्रपति को रम्माण कला पर आधारित स्मृति चिह्न भेंट किया। रम्माण कला पर राष्ट्रपति ने एक पुस्तक का विमोचन भी किया। सदन में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, राज्यपाल ले. जन. गुरमीत सिंह और विधायकों के अलावा दर्शक दीर्घा में सभी पूर्व मुख्यमंत्री, वर्तमान व पूर्व सांसद भी मौजूद रहे। नेता प्रतिपक्ष, सीएम धामी और राज्यपाल के स्वागत भाषण के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपना संबोधन दिया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड राज्य की स्थापना की रजत जंयती के ऐतिहासिक अवसर पर लोकतंत्र के इस मंदिर में आप सबके बीच आकर मुझे प्रसन्नता हो रही है।

उन्होंने विधानसभा के पूर्व व वर्तमान सदस्यों और राज्य के निवासियों को बधाई देते हुए कहा कि श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी के कार्यकाल के दौरान यहां के जनमानस की आकांक्षा और बेहतर विकास की दृष्टि से वर्ष 2000 के नवंबर माह में इस राज्य की स्थापना की गई थी। 25 वर्षों में उत्तराखंड के लोगों ने विकास के लक्ष्य हासिल किए। पर्यावरण, ऊर्जा, पर्यटन और शिक्षा के क्षेत्र में प्रगति की। विकास के प्रयास के बल पर राज्य ने ह्यूमैन डेवलपमेंट के कई मानकों में सुधार किया। खुशाी है कि राज्य में साक्षरता बढ़ी। महिलाओं की शिक्षा में विस्तार हुआ। स्वास्थ्य सेवाओं को सुलभ बनाने में प्रयास किया जा रहा है। महिला सशक्तीकरण की दिशा में किए जा रहे प्रयासों की मैं विशेष सराहना करती हूं।

महिलाओं की गौरवशाली परंपरा आगे बढ़ेगी : राष्ट्रपति

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि सुशीला बलूनी, बछेंद्री पाल, वंदना कटारिया जैसी असाधारण महिलाओं की गौरवशाली परंपरा आगे बढ़ेगी। ऋतु खंडूड़ी भूषण की बतौर पहली महिला विस अध्यक्ष नियुक्ति करके उत्तराखंड विधानसभा ने अपना गौरव बढ़ाया। मैं चाहूंगी कि उत्तराखंड विस में महिलाओं की संख्या में बढ़ोतरी होगी। भारत का यह पवित्र भूखंड अनेक ऋषि मुनियों की तपस्या स्थली रही है। गढ़वाल रेजीमेंट के नाम से यहां की शौर्य परंपरा का परिचय मिलता है। यहां के युवाओं में मातृभूमि की रक्षा करने के प्रति उत्साह दिखाई देता है।

उत्तराखंड की यह शौर्य परंपरा सभी देशवासियों के लिए गौरव की बात है। जो योगदान देने वाले विभूतियां आज हमारे साथ नहीं हैं, उनको नमन करती हूं। समान नागरिक संहिता विधेयक लागू करने वाले उत्तराखंड विस के सदस्यों की मैं सराहना करती हूं। उत्तराखंड विस में 550 से अधिक विधेयक पारित किए गए हैं। इनमें उत्तराखंड लोकायुक्त विधेयक, जमींदारी विनाश, नकलरोधी विधेयक शामिल हैं। सामाजिक न्याय से पारित सभी विधेयकों को पारित करने के लिए सभी पूर्व व वर्तमान विधायकों की सराहना करती हूं। विधानसभाएं हमारी संसदीय प्रणाली का प्रमुख स्तंभ हैं।

बाबा साहेब आंबेडकर ने कहा था कि जनता के प्रति निरंतर उत्तरदायी बने रहना संसदीय प्रणाली की शक्ति और चुनौती भी है। विधायक, जनता व शासन के बीच की सबसे अहम कड़ी होते हैं। जमीनी स्तर पर क्षेत्र की जनता से जुड़कर उनकी सेवा करने का अवसर मिलना सौभाग्य की बात होती है। उत्तराखंड की जनसंख्या करीब डेढ़ करोड़ है लेकिन यहां इतने लोगों ने चुनकर जिन सदस्यों को सदन में भेजा है, उनका विश्वास, उनकी आशा, भरोसा करके विधानसभा में भेजना और उनके लिए सुशासन बनाना जिम्मेदारी और सौभाग्य की बात है।

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नेता प्रतिपक्ष का स्वागत भाषण

सबसे पहले नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने सदन में राष्ट्रपति का स्वागत किया। स्वागत भाषण में नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि यह हमारा सौभाग्य है कि आज आप सदन में राष्ट्रपति के रूप में उपस्थित हुई हैं। उत्तराखंड के आंदोलन में प्राणों की आहुति देने वाले आंदोलनकारियों को भी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। उत्तराखंड और हिमालय को भारत भूमि का ऑक्सीजन टावर भी कहा जाता है। उत्तराखंड की महिलाएं भी जंगलों को अपना मायका समझती हैं। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि आपकी तरह गौरा देवी का भी प्रकृति व जंगलों से लगाव था।

चारों धाम के अलावा तमाम पवित्र स्थल यहां मौजूद हैं। उत्तराखंड कौमी एकता का प्रतीक भी है। सिख धर्म का पवित्र स्थान हेमकुंड साहिब है। नानकमत्ता साहिब, कलियर शरीफ में ख्वाजा की दरगाह है। इस साल आपदा में हमने बहुत नुकसान झेला है। संसद में वन अधिकार कानून पास हो गया है लेकिन यहां आज तक दर्जनों गांवों को अधिकार नहीं मिल पाए हैं। मातृशक्ति ने विभिन्न क्षेत्रों में नए आयाम व कीर्तिमान स्थापित किए हैं। पर्वतीय इलाकों में तकनीकी शिक्षा का पूर्ण अभाव बना हुआ है। चिकित्सा व स्वास्थ्य के क्षेत्र में चुनौतियां हैं।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का स्वागत भाषण

यशपाल आर्य के बाद सीएम पुष्कर सिंह धामी ने राष्ट्रपति के समक्ष स्वागत भाषण रखा। देवभूमि पधारने पर समस्त उत्तराखंड वासियों की ओर से सीएम ने राष्ट्रपति का आभार व्यक्त किया। कहा कि उन बेटियों को भी बधाई देना चाहता हूं, जिन्होंने वर्ल्ड कप जीतकर हमारी बेटियों को नई प्रेरणा दी है। यह दूसरा अवसर है जब उत्तराखंड की विधानसभा में देश के राष्ट्रपति का अभिभाषण हो सकता है। इससे पहले पूर्व राष्ट्रपति स्व. प्रणव मुखर्जी ने संबोधित किया था।

25 वर्ष पूरे होने का ऐतिहासिक अवसर आत्मगौरव का क्षण है। सभी ज्ञात-अज्ञात राज्य आंदोलनकारियों को नमन करता हूं, जिनके त्याग व बलिदान के कारण ये राज्य अपनी स्थापना के 25 वर्ष पूरे कर रहा है। जिन मूल्यों, आकांक्षाओं के लिए ये राज्य अस्तित्व में आया, उन्हें पूरा करना हम सबकी जिम्मेदारी है। हम आपके आशीर्वाद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राज्य को सशक्त बनाने का काम करेंगे।

राज्यपाल ले. जन. गुरमीत सिंह(सेनि) का स्वागत भाषण

रजत जयंती के अवसर पर राज्यपाल ले. जन. गुरमीत सिंह ने राष्ट्रपति का आभार जताया। उन्होंने कहा कि देवभूमि के प्रति आपके अपार स्नेह से हम उत्तराखंड के लोग अभिभूत हैं। आपका मार्गदर्शन हमें सदैव राष्ट्रहित सेवा व संवेदना की भावना से कार्य करने के लिए प्रेरित करता है। इस विशेष सत्र में राज्य की विकास यात्रा पर चर्चा की जाएगी। भविष्य के विकास के लिए एक रोडमैप भी तैयार किया जाएगा। इस सत्र में चर्चा-परिचर्चा से राज्य के विकास को नई दिशा मिलेगी। यह विशेष सत्र उत्तराखंड के उज्जवल भविष्य की नींव रखेगा। 25 वर्षों में देवभूमि उत्तराखंड ने कई उपलिब्धयां हासिल की हैं। यह कालखंड उत्तराखंड के लिए महत्वपूर्ण रहा है। हमारा प्रदेश समृद्ध एवं सशक्त उत्तराखंड की ओर अग्रसर है। प्रदेश के विकास में मातृशक्ति, युवा शक्ति और पूर्व सैनिकों की अहम भागीदारी उल्लेखनीय है। 25 वर्षों में हमारे राज्य ने पर्यटन समेत कई क्षेत्रों में उल्लेखनीय उपलिब्धयां हासिल की हैं। मेरे विचार में विकसित उत्तराखंड का अर्थ केवल आर्थिक प्रगति तक नहीं बल्कि चहुंमुखी विकास से है, जहां प्रगति व प्रकृति दोनों साथ चलें। पहाड़ों में पलायन रोकने, स्थानीय उत्पदों को वैश्विक पहचान देने, पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक तकनीकी से जोड़ने, सुशासन को हर गांव तक पहुंचाना हमारा संकल्प है। आईए कम संकल्प लें कि हर व्यक्ति बेहतर जीवनयापन करें, महिलाओं को आगे बढ़ने का संबल मिले। किसानों का कल्याण हो, युवा आगे बढ़ें।

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