March 20, 2025

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उत्तराखंड मंत्रिमंडल में बड़े बदलाव को लेकर सुगबुगाहट हुई तेज, चर्चाओं का बाजार गर्म

देहरादून/नई दिल्ली/नागपुर (मनीष वर्मा)। पुष्कर सिंह धामी सरकार में पिछले काफ़ी समय से मंत्रिमंडल के सभी पदो को भरने की कवायद पर चर्चा चल रही थी परंतु कभी लोकसभा चुनाव की आचार संहिता और चुनाव, कभी विधान सभा के उप चुनाव तो उसके बाद नगर निगम और नगर पालिका के चुनाव आ गए साथ ही इस बीच हरियाणा, महाराष्ट्र, हिमाचल में भी चुनाव हुए और सबकी ड्यूटी चुनाव प्रचार में भी लगी रही और बीच बीच में संसद के सत्र या या उत्तराखंड विधान सभा के सत्र भी चलते रहे और 3 वर्ष कब निकल गए कुछ पता ही नहीं लगा।

अब उत्तराखंड में चुनाव आचार संहिता सहित अन्य अवकाशों का समय निकाल दे तो मात्र पौने दो साल का समय 2027 के विधान सभा चुनावो के लिए बचा है।

इन पौने दो वर्षों में आगे सबसे बड़ा रण पंचायत चुनावो का भी सामने खड़ा है जो कि 2027 के संग्राम को जीतने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्यूंकि पंचायतों से ही विधान सभा के द्वार खुलते है और पंचायत चुनाव जीतना या जिताना हर पार्टी के कार्यकर्ताओं एवं नेताओं के लिए महत्वपूर्ण कड़ी होती है।

आम जनमानस में मंत्री प्रेम चंद अग्रवाल के इस्तीफे के बाद और मंत्रिमंडल में 5 पद रिक्त होने पर भाँति-भाँति की चर्चाओ का बाज़ार गर्म है जिनमे विभिन्न तरह के वक्तव्य नेताओं और जन मानस के बीच चाय पर चर्चा के दौरान डोल रहे है।

जनता में चर्चाओ के अनुसार हरीश रावत के चर्चित स्टिंग ऑपरेशन और वीडियो जिसमे वो कह रहे थे की “तुम जितना चाहे ले लेना मै मुंह फेर लूँगा “ के बाद प्रदेश- देश में मचे हो-हल्ले के बाद कांग्रेस सरकार गिराने के बाद भाजपा में आए कांग्रेसी विधायकों को भाजपा के जमीनी कार्यकर्ताओं और नेताओं को समझा बुझा कर चुप करवाने और कांग्रेस से आने वालो को विधायक टिकट और मंत्री पद से नवाजा गया था क्यूंकि जो भाजपा के विधायक कई वर्षों से तैयारी कर रहे थे उनके सामने उनके प्रतिद्वंदी जो भाजपा में शामिल हुए और विधायक की टिकट लेकर आए और जीतने के बाद मंत्री भी बना दिए गए तो उस भाजपा के सेवक पर क्या गुजरी होगी जिसने वर्षों से मेहनत कर तैयारी की थी और अचानक उन कार्यकर्ताओं के बीच वो शक्स भाजपा जॉइन करके टिकट ले आया था जिसके ख़िलाफ़ वो वर्षों से विरोध ,धरना प्रदर्शन करते आए थे जैसे की उदाहरण के तौर पर टिहरी से किशोर उपाध्याय। अब कांग्रेस छोड़कर भाजपा में वो क्या आए की भाजपा कार्यकर्ताओं का मुंह नीचे हो गया और उनको मजबूरी में अपना पार्टी का वोट उन्हें देना पड़ा।
कहते है भाजपा का कार्यकर्ता बड़ा निष्ठावान होता है और पार्टी में अनुशासन और मर्यादा ही उनका धर्म माना जाता है।
अब बात करते है इन चर्चाओ की हकीकत क्या हो सकती है और किस आधार पर यह चर्चाए हो रही है उनका विश्लेषण करते है।
सूत्रो के अनुसार कांग्रेस से भाजपा में आए सभी विधायको को एक बार टिकट और मंत्री पद का वादा किया गया था और उन्होंने जमकर इस पद का आनंद अभी तक उठाया परंतु अब भाजपा दिल्ली के दिग्गज और आरएसएस के महानुभाव आने वाले पंचायत और विधान सभा चुनावो को देखते हुए सबको बदलने का मन बना रहे है क्यूंकि कुछ मंत्रियों पर आरोप-प्रत्यारोप लगे है तो कुछ अपनी निजी परेशानियों एवं स्वास्थ्य के चलते ख़ुद ही छोड़ने का मन बनाये बैठे है और कुछ एक दूसरे की शिकायत करते नहीं थके है।
यदि आरएसएस की चली तो पूरा का पूरा मंत्रिमंडल नया स्वरूप में देखने को मिल सकता है क्यूंकि पुरानो का वादा निभाया जा चुका है। “अपनों” को भी दिया वादा निभाना है और अपने पुराने सेवक जिन्होंने छाती पर पत्थर रख कर ये तीन साल बिताए उनके अंदर अब सब्र की सीमा समाप्त हो चुकी है।
देखा जाए तो वो झंडा और प्रार्थना पत्र का “ पुलिंदा “लेकर चुपचाप पार्टी हाईकमान से सब के सब एक एक करके मिल कर आ चुके है और किसी को कोई ख़बर भी नहीं लगी और वो पूरे आश्वस्त है कि पार्टी उनको सम्मान देगी।
दिल्ली में अनिल बलूनी खेमा लगभग सबकी आँखों का प्यारा बना हुआ है और सबके दुख सुख उन्होंने साथ ले जाकर हाई कमान को सुनवाये है और भरोसा भी सांत्वना के साथ दिलाया है।
वही दिल्ली दरबार में परिक्रमा करके आ चुके कई पुराने और वरिष्ठ दिग्गज जो नए आगंतुकों के कारण दरकिनार किए गए थे वो भी पार्टी हाईकमान से सीधे चर्चा कर आए है और पार्टी हाई कमान की बात करे तो प्रधान मंत्री मोदी , गृह मंत्री अमित शाह , नितिन गडकरी,विनोद तावड़े, भैया जी जोशी ,दत्तात्रय होसबोले या सुप्रीम पॉवर मोहन भागवत से मिल चुके है । केंद्रीय मंत्रियों की बात करे तो पुराने दिग्गज रक्षा मंत्री राजनाथ, सिंह,वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सड़क एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी,राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा राष्ट्रीय महामंत्री अरुण सिंह ,दुष्यन्त कुमार गौतम ,सुनील बंसल के साथ तो चर्चा करते हुए वॉयस ऑफ़ नेशन ने भी तस्वीरे ली है।
परंतु अब मुख्यालय में चर्चा यह है कि आने वाले पंचायत और विधान सभा चुनाव को एंटी इनकम्बेसी का सामना ना करना पड़े इसलिए पूरा मंत्रिमंडल भाजपा और आरएसएस के उन चुनिंदा समर्थकों और सेवकों को दिया जाए जो पार्टी को अगला चुनाव जीता कर ले जाए और उसमे भी वरिष्ठ नेता गण जो 8 बार से लेकर 3 बार तक जीत कर आए है,उनका समावेश भी वरिष्ठता के क्रम में उनको सम्मान के साथ दिया जाए क्यूंकि भाजपा की नीव रखने और आज इस मुकाम तक पहुचाने में उनका सबसे बड़ा योगदान है और इसके विपरीत दूसरा उदहारण जनता के सामने कांग्रेस पार्टी है,क्यूंकि जबसे कांग्रेस ने अपने बड़े,दिग्गज और अनुभवी नेता जिन्होंने पार्टी को अपने खून से सींचा उन्हें दरकिनार कर दिया तो कांग्रेस लगभग समापन की ओर चली गई और यही मंथन अब आरएसएस के महानुभावों ने नागपुर मुख्यालय और दिल्ली के नए भवन में किया है कि कुछ अन्य राज्यो वाला फार्मूला यहाँ भी लगाया जाए जिससे पार्टी की जीत पंचायत चुनावो में और 2027 में विधान सभा चुनावो में भी सुनिश्चित हो और निराश और उदास बैठे पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश भरा जा सके।
पार्टी में वर्तमान समय में पिथौरागढ़ से मुख्यमन्त्री क़द के बराबर उम्मीदवार जो 8 बार से लगातार चुनाव जीत रहे है और जो भाजपा के उत्तराखंड प्रदेश अध्यक्ष रहने के साथ 3 बार उत्तर प्रदेश से उत्तराखंड बनने तक मंत्री भी रहे और आरएसएस के कट्टर बिशन सिंह चुफाल है
हल्द्वानी – नैनीताल से बंशीधर भगत
हरिद्वार से मदन कौशिक ,प्रदीप बत्रा ,शिब अरोड़ा
टिहरी से प्रीतम सिंह पंवार
देहरादून से विनोद चमोली और खजान दास ,उमेश शर्मा काऊ ,पौड़ी से अनिल बलूनी (दिल्ली से लाकर कोई बड़ा पद ) तथा ऊधम सिंह नगर से अरविंद पांडेय सहित मंत्री मंडल में 3 महिला दावेदार आशा नौटियाल और ऋतु खंडूरी ,सरिता आर्य भी हो सकती है।
अन्य चेहरो की बात करे और भाजपा में ज़्यादा वोटो से जीतने के आधार पर मंत्रियों का चयन हुआ तो अधिक वोटो से जितने के फार्मूले की बात करे तो पुरोला से दुर्गेश्वर लाल, गंगोत्री से सुरेश चौहान, थराली से भोपाल राम टम्टा, घनसाली से शक्ति लाल शाह, डोईवाला से ब्रिज भूषण गौरोल,रानीपुर हरिद्वार से आदेश चौहान,लैंसडाउन से दिलीप सिंह रावत,लालकुआँ से डा मोहन सिंह बिष्ट,भीमताल से राम सिंह कैढ़ा,रुद्रपुर से शिव अरोड़ा काशीपुर से त्रिलोक सिंह चीमा में से मंत्री बनेंगे और जातीय समीकरण को देखा जाए तो रिज़र्व सीट में राज कुमार पोरी, खजान दास, दुर्गेश्वर लाल, सरिता आर्य, शक्ति लाल शाह, भूपाल राम टम्टा, फ़क़ीर राम टम्टा, पार्वती दास में से एक गढ़वाल और एक कुमाऊँ से मंत्री बन सकता है एसटी जाति में भाजपा का कोई विधायक नहीं है नहीं तो इस बार लाटरी लगना तय था और पंजाबी समुदाय से देखा जाए तो दो ही उम्मीदवार वित्त मंत्री के लायक है जिनमे शिव अरोड़ा ( सीए) और प्रदीप बत्रा मजबूत दावेदार है और इस बार जो भी निष्कर्ष होगा उसमे नागपुर का वरद हस्त रहेगा।
जहाँ तक बात है दर्जा धारियो की उसको कई नेता तो चुपचाप मंत्री पद पा चुके है और हो – हल्ला भी नहीं हुआ और जो निगम/बोर्ड बचे रह जाएँगे,मंत्रिमंडल गठन होने के बाद ज़्यादा हल्ला मचायेंगे,उसको देकर शांत कर दिया जाएगा।
फ़िलहाल उत्तराखंड के राजनीतिक गलियारे की चर्चा कि पहली किश्त में इतना ही ……..अगली किश्त में बतायेंगे दिल्ली ग्राउंड जीरो से सीधी अपडेट……
चलते-चलते …
31 मार्च तक दो और बड़े बदलाव होने वाले है
एक तो उत्तराखंड को नया मुख्यसचिव मिल जाएगा
दूसरा उत्तराखंड को नया भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मिल जाएगा ।

साभारः वॉयस ऑफ़ नेशन न्यूज़

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