देहरादून। वॉयस ऑफ़ नेशन (मनीष वर्मा) देश की आवाज़ वॉयस ऑफ़ नेशन ने हमेशा से जनता की आवाज़ उठाई है और जनहित में कई ऐसे मामले उजागर किए जिनमे सरकार और समाज की छवि धूमिल करने वालों पर तत्काल कारवाही भी हुई है।
इसी क्रम में वॉयस ऑफ़ नेशन आज ऐसा सनसनीख़ेज़ मामला आम जान मानस के सामने उजागर कर रहा है, जिसे पढ़ कर आप सभी चौंक जाएँगे कि इस प्रदेश में जालसाज़ी का मुक़दमा झेल रहा अधिकारी किस प्रकार मंत्री और मुख्यमंत्री को भी गुमराह और अपने लोगो से साँठ गाँठ कर कैसे मलाईदार पद पा जाता है और किसी को भनक भी नहीं लगती या इनकी भावी मुख्यमंत्री बनने का सपना देखने वाली आका का प्रभाव है कि सब नजरे फेर लेते है।
नियम के अनुसार किसी अधिकारी का 10,000/-पे ग्रेड पर प्रमोशन हेतु विभागीय मंत्री एवं मुख्यमंत्री का अनुमोदन आवश्यक एवं अनिवार्य होता है परंतु शासन में बैठे अरुणेन्द्र सिंह चौहान नामक अधिकारी की मनमानी की दास्तान नई नहीं है दर्जनों जाँचे जिनमे आय से अधिक संपत्ति, SP Crime की फ़र्जीवाडा करने की जाँच रिपोर्ट सहित कई जाँचे शासन में लंबित है, जो चालाकी से दबा दी गई थी वह भी आरटीआई अपील के माध्यम से खुल गई है और आपराधिक कोर्ट से भी सम्मन मिलने पर वकालतनामा दाखिल कर उपस्थित हो चुके है।
सबसे बड़ा और ताज़ा मामला ये है कि इस अधिकारी का प्रोमोशन विभागीय मंत्री एवं मुख्यमंत्री के अनुमोदन के बिना हो जाना और उस से भी बड़ी बात की प्रमोशन के बाद भी मूल विभाग का पता ना होना की इनका मूल विभाग कौन सा है और उस से भी बड़ी खबर ये है कि मूल विभाग की बजाय 5-6 अतिरिक्त मलाईदार विभाग जिसमे ई विधान सभा जैसा महत्वपूर्ण विभाग तथा ट्रेनिंग सेंटर, पीडब्ल्यूडी, सिंचाई, चिट्स एवं फंड्स भी है और जिनमे करोड़ों रुपये के निर्माण कार्य भी चल रहे है।
नियमानुसार सभी के प्रोमोशन का इस प्रकार होता है अनुमोदन देखिए प्रक्रिया :-
पर इनकी फाइल अलग से कैसे चली और मंत्री को ई फाइल भेजना दिखाया पर विभागीय मंत्री और मुख्यमंत्री से फाइल वापिस आये बिना और अनुमोदन के बिना ही हो गया प्रमोशन देखिए नोटशीट और आदेश :-
बरहाल उत्तराखण्ड सचिवालय के लिए कहावत सत्य होती दिख रही है की “यहाँ कुछ भी हो सकता है।”
सूत्रों से मिली खबर के अनुसार पिछले दिनों वित्त सचिव ऐसी कुछ जानकरी के चलते बदले गये और अब ऐसे कृत्य करने वालों पर भी गाज गिरनी तय है।
साभार : वॉयस ऑफ़ नेशन न्यूज
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