देहरादून। केन्द्र सरकार के आम बजट से कर्मचारी संगठनों को निराशा हाथ लगी है। संगठनों के पदाधिकारियों ने अपनी प्रतिक्रिया में स्पष्ट किया है कि न तो आयकर में कोई राहत मिली है और न ही वर्षों से लटकी पुरानी पेंशन की दिशा में ही सरकार ने कोई कदम बढ़ाया है।
ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने बजट को नौकरी पेशा कर्मियों और शिक्षकों के लिए निराशाजनक बताया। कहा, ऊर्जा क्षेत्र खासकर ट्रांसमिशन सेक्टर और राज्यों की विद्युत वितरण कंपनियों के लिए बजट में कुछ भी नहीं है। कहा, कर्मियों और शिक्षकों को बजट में पुरानी पेंशन बहाली, आठवें वेतन आयोग, कोरोनाकाल में जब्त किए गए 18 महीनों के महंगाई भत्ते, लाखों रिक्त पड़े पदों को भरने आदि की उम्मीद थी।
उन्होंने कहा, ऊर्जा क्षेत्र के लिए भी बजट में कुछ भी उत्साहवर्धक नहीं है। सबको बिजली और सस्ती बिजली देने के लिए सरकारी नीतियों के कारण भारी घाटा उठा रही राज्यों की बिजली वितरण कंपनियों को घाटे से उबारने की कोई योजना बजट में नहीं है। ट्रांसमिशन सेक्टर को सुदृढ़ करने की भी बजट में कोई चर्चा नहीं है।
उत्तरांचल फेडरेशन ऑफ मिनिस्टीरियल सर्विसेज एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष पूर्णानंद नौटियाल ने कहा, सरकार ने नई कर प्रणाली में सुधार करने का प्रयास कर कुछ राहत तो जरूर दी है, लेकिन पुरानी कर प्रणाली को समाप्त करने का प्रयास किया जा रहा है। कर्मचारी जो बचत करते थे, वह नई कर प्रणाली में इसमें कहीं भी छूट का प्रावधान नहीं रखा गया है। कार्मिकों को सरकार की ओर से बचत करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए था।
आयकर में छूट न मिलने से निराशा : परिषद
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