देहरादून। उत्तराखंड में इस वर्ष नवंबर तक विभिन्न कारणों से 19 बाघों की मौत हो चुकी है। लेकिन, प्रदेश का वन महकमा मौत के इन आंकड़ों को अप्रत्याशित नहीं मानता है। राज्य के प्रमुख वन संरक्षक वन्यजीव और मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक डॉ. समीर सिन्हा की मानें तो प्रदेश में बाघों की आबादी के हिसाब से यह मृत्यु दर 3.4 प्रतिशत है, जो अन्य राज्यों की तुलना में बेहद कम है।
प्रदेश में बाघों की संख्या में विगत 16 वर्षों में तीन गुना से भी अधिक वृद्धि हुई है। पूरे विश्व में बाघों का सबसे अधिक घनत्व उत्तराखंड के कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में अंकित किया गया है। लेकिन चिंताजनक बात यह भी है कि प्रदेशभर में बाघों की 19 मौत में से अकेले आठ बाघों की मौत कॉर्बेट में ही हुई है। बीते चार वर्षों में 26 प्रतिशत से अधिक वृद्धि दर्ज की गई है। चिंताजनक पहलू यह है कि बाघों की संख्या बढ़ने के साथ इनकी मौत के मामले भी लगातार बढ़ रहे हैं।
मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक डॉ. सिन्हा के अनुसार प्रदेश में बाघों की अगर अधिक मौत हो रही है तो इसे इस रूप में भी देखा जाना चाहिए कि बाघों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि बाघों की मौत के प्रत्येक मामले की जांच की गई है, कुछ की जांच जारी है। किसी भी प्रकरण में मौत का कोई असामान्य कारण या मानव जनित कारण अभी तक प्रकाश में नहीं आया है।
देशभर में सबसे ज्यादा बाघ इस साल मरे
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