देहरादून। उत्तराखंड की बेटी, वरिष्ठ राज्य आन्दोलनकारी, प्रसिद्ध जनसेवी एवं जनता कैबिनेट पार्टी (जेसीपी) की केन्द्रीय अध्यक्ष भावना पांडे ने वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी एवं महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष सुशीला बलूनी के निधन पर गहरा दुःख व्यक्त करते हुए उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी। उन्होंने ईश्वर से दिवंगत आत्मा की शांति एवं शोक संतप्त परिजनों को धैर्य प्रदान करने की कामना की है।
जनसेवी भावना पांडे ने सुशीला बलूनी के निधन पर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा- उत्तराखंड की आवाज, वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी एवं महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष सुशीला बलूनी जी के निधन पर भावपूर्ण श्रद्धांजलि। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें एवं शोक संतप्त परिजनों को धैर्य प्रदान करें।
उन्होंने कहा कि यह हम सभी के लिए एक चौंकाने वाली दुखद खबर है, न केवल उत्तराखंड राज्य के लिए बल्कि राज्य आंदोलनकारियों की पूरी बिरादरी के लिए, जिन्होंने दीदी सुशीला बलूनी जी के तत्वावधान में उत्तराखंड राज्य को तराशने के लिए आंदोलन का नेतृत्व किया। राज्य निर्माण के क्षेत्र में दीदी सुशीला बलूनी जी के द्वारा दिया गया योगदान हम सभी के लिए अनुकरणीय है।
जेसीपी अध्यक्ष भावना पांडे ने कहा- सुशीला बलूनी ने अपनी सामाजिक एवं राजनीतिक यात्रा में एक बेहतरीन पारी खेली है। एडवोकेट सुशीला बलूनी 1980 के समय से हेमवती नंदन बहुगुणा के पौड़ी गढ़वाल लोक सभा चुनाव से राजनीति में सक्रिय रहीं। वह बहुगुणा के प्रबल समर्थकों में से थीं। वह उत्तराखंड क्रांति दल में भी लम्बे समय तक रहीं। उनकी उत्तराखंड पृथक राज्य निर्माण आंदोलन में अहम भूमिका रही। उन्होंने देहरादून मेयर का चुनाव भी लड़ा और त्रिकोणीय संघर्ष में बहुत अच्छे वोट हासिल किए, लेकिन चुनाव नहीं जीत पाईं। बाद में वह भाजपा में शामिल हो गई थीं। वह उत्तराखंड आंदोलनकारी सम्मान परिषद की अध्यक्ष और उत्तराखंड महिला आयोग की अध्यक्ष भी रहीं। उनकी छवि एक जुझारू, संघर्षशील और ईमानदार महिला नेत्री के रूप में रही। उन्हें उत्तराखंड में ताईजी के रूप में भी जाना जाता रहा है।
वरिष्ठ राज्य आन्दोलनकारी भावना पांडे ने कहा- उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी सुशीला बलूनी जी राज्य आंदोलन की सशक्त पक्षकार थीं, जो पृथक राज्य आंदोलन के दौरान कई बार जेल गईं। उत्तराखंड राज्य आंदोलन के संघर्ष की वे बुलंद आवाज़ थीं। अफसोस जीवन के अंतिम वर्ष उन्होंने भाजपा में बिताए और उपेक्षा का शिकार हुईं।
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